Thursday, October 21, 2010

raghuvansham

वीरगाथाकाल 
 पहले कहा जा चुका है कि प्राकृत की रुढियों से बहुत कुछ मुक्त भाषा के जो पुराने काब्य -बीसलदेव्ररासो ,पृथ्वीराजरासो  -आजकल मिलते हैं वे संदिग्ध हैं |इसी संदिग्ध सामग्री को लेकर थोड़ा -बहुत  विचार हो सकता है , उसी पर हमें संतोष  करना पड़ता है |
इतना अनुमान किया जा सकता है कि  प्राकृत  पढ़े पंडित ही उस समय कविता नहीं करते थे |